मार्च 13, 2009

ये रंग होली के नहीं हैं….


आंखे पहले हाथ में पकङाई गई चीज़ पर नज़र डालती हैं और फिर शर्मिली मुस्कराहट के साथ जब वो मुझे दोबारा देखती हैं तो एक खास किस्म की खुशी से चमक रही होती हैं। लगभग हर बच्चे की प्रतिक्रिया एक सी होती है। हर बार बच्चों की आंखों में वो चमक देख कर मैं सोचती हूं कि इस बार तो अतिमा भाभी को फोन करके एक बहुत बङा वाला धन्यवाद देना है जिनकी वजह से किसी को खुश करने के खुशगवार पल मुझे मयस्सर होते हैं। बच्चों को उल्लास से भर देने वाली वो भेंट होती हैं खूब सारे पेंसिल वाले रंग।


पिछले तीन-चार साल से कम से कम दो सौ बच्चों को रंगीन पेंसिलों के तोहफे मेरे हाथों से बंट चुके हैं। ये वो बच्चे हैं जिनके लिए रंगीन पेंसिलें खरीद पाना मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं हैं। आमतौर पर निम्न आयवर्ग परिवार के इन बच्चों के अभिभावकों के लिए उनके लिए बहुत जरूरी चीजें जुटा पाना भी मुश्किल होता है। कापी-किताब और पेंसिल या पेन मिल जाए वही बहुत है। ऐसे में अच्छी क्वालिटी की भले ही थोङी बहुत इस्तेमाल की हुई बीस-पच्चीस पेंसिल वाले रंगों का तोहफा बच्चों के खास ही होता है।


थोङी बहुत इस्तेमाल की हुई ये पेंसिलें मेरे पास पहुंचती हैं अतिमा भाभी के द्वारा सिंगापुर से। भाभी का पूरा नाम अतिमा जोशी है जो अपने पति नीरज जोशी और एक किशोरवय बेटी नीतिमा के साथ सिंगापुर में रहती हैं और एक स्कूल में पढाती हैं। वहां पढाते हुए उन्होंने देखा कि उनकी क्लास में बच्चे स्टेशनरी का बहुत ही लापरवाही के साथ इस्तेमाल करते हैं। पेन, पेंसिल, रंग, पेंसिल शार्पनर जैसी चीजें थोङे से प्रयोग के बाद फेंक दी जाती हैं।


हिंदुस्तान जैसे देश में मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बङे संस्कारी मन से ये बरबादी हजम न होनी थी न हुई। सो उन्होंने बेकार समझ कर फेंक दी गई उन रंगीन पेंसिलों को इकट्ठा करना शुरू किया और अपनी सालाना यात्रा में जब हिंदुस्तान आईं तो रंगों की वो पोटली साथ लाना नहीं भूलीं। अच्छी खासी भर चुकी उस पोटली से कुछ रंग उन्होंने खुद बांटे और कुछ मुझे दे दिए। लगभग तीन साल पहले शुरू हुआ यह सिलसिला तब से बरकरार है।


यहां इस पोस्ट का मकसद किसी को महिमामंडित करना नहीं है बल्कि सिर्फ यह बताना भर है कि थोङी सी सकारात्मक सोच और थोङी सी पहल थोङी सी ही सही लेकिन इतने सारे बच्चों के लिए खुशी का सबब बन गई। बच्चों की दुनिया को रंगीन बनाने के लिए यह छोटी सी पहल भी कितनी महत्वपूर्ण है, हाथ में पेंसिल पकङे बच्चे की उछाह भरी मुस्कान मुझे बहुत अच्छी तरह से बता देती है।

मेरे ब्लॉग पर आने वाले सभी परिचित, अपरिचित मित्रों को होली मुबारक। इस होली में रंग न केवल तन को बल्कि मन और सपनों को भी रंगें।